देवो के देव महादेव की 5 पुत्रिया थी जिनके बार्रे में बहुत कमलोग ही जानते है। अधिक शंख्या में लोग केवल यही जानते है की महादेव और देवी पारवती की 2 पुत्र थे कार्तिक्य और गणेश।मधुश्रावणी की पवन कथा में उनकी पांच बेटियों का वर्णन मिलता है। 

अशोक सुंदरी - महादेव और देवी पारवती की पुत्री की अनकही कहानिया

ये कहानी भी पढ़े :एराक्ने का अभिशाप - बुनाई करने वाली महिला से मकड़ी

कैसे हुआ महादेव के पांच पुत्रियों का जन्म ?

अशोक सुंदरी - महादेव और देवी पारवती की पुत्री की अनकही कहानिया


पुराणों के अनुसार एक बार पारवती और महादेव मनुषय रूप धारण करके जंगल में विचरण कर रहे थे। वे विचारन कर रहे  थे तभी उन्हें एक मनोहर सरोवर दिखाई दिया। देवी पारवती को उस मनोहर सरोवन के जल में  क्रीड़ा करने का इच्छा हुई। उन्होंने महादेव से अपनी इच्छा वयक्त की। देवी पारवती और महादेव जल क्रीड़ा करने के लिए सरोवर में उतरे।  तभी जल क्रीड़ा  वक़्त महादेव  शिव जी के शरीर से एक बिज़ उत्पन्न हुआ। महादेव ने उस बिज़ की सरोवर के किनारे रख दिया।  उस बिज़ से पांच पुत्रियों  उत्तपन हुई। हलाकि वो 5 पुत्रिया मानव न होकर एक शार्प के रूप में जन्म ली थी।  ये बात माता पारवती को नहीं पता थी की उनकी पांच कन्याओं ने जन्म लिया है। 

महादेव की पुत्री अशोक सुंदरी

उन नाग कन्याओं से अलग महादेव और माता पारवती की एक और पुत्री थी जिसका नाम अशोक सुंदरी था। इनका विवाह राजा नहुस से हुआ था। अशोक सुंदरी एक देव कन्या थी।  अशोक सुंदरी की रचना माता पारवती के अकेलेपन को दूर करने के लिए कल्प वृक्ष नमक एक पेड़ से हुआ था ।   एक बार माता पारवती ने भगवान शिव को विश्व के सबसे सुन्दर वन ले जाने को कहा। तब भगवन शिव अपनी पत्नी पारवती को नंदन वन ले कर गए। उस नंदन वन में माता पारवती को कपल वृक्ष से लगाव हो गया और उसे लेकर कैलाश आ गयी।

पुराणों में कल्प वृक्ष मनोकामना पूर्ण करने वाला वृक्ष है।  इसलिए देवी पारवती ने कल्प वृक्ष से एक कन्या की मनोकामना की। तब कल्प वृक्ष दवारा अशोक सुंदरी का जनम हुआ  । देवी ने उस कन्या को आशीर्वाद दिया की उनका विवाह देव इंद्रा जैसे शक्तिशाली व्यक्ति से होगा। 

अशोक सुंदरी - महादेव और देवी पारवती की पुत्री की अनकही कहानिया
अशोक सुंदरी

जब देव गणेश का सर धर से अलग किया गया था तब देवी सुंदरी नमक के ढेर के पीछे छुप गयी थी इसलिए उनका सम्बन्ध नमक से है।  अशोक सुंदरी को ओखा नाम से भी पुकारा जाता है और चैत में उनकी याद में नमक नहीं ख़रीदा जाता।  

 अशोक सुंदरी अपनी दसियो के साथ नंदन वन में विचरण कर रही  थी।  तभी  हुन्नड मक राक्षस आ गया  और अशोक सुंदरी की सुंदरता से प्रभावित  होकर उनके समक्ष विवाह का प्रस्ताव रखा। लेकिन अशोक सुंदरी ने अपने विवाह और वरदान के बारे में बताया की उनका विवाह नहुस से ही होगा।  ये सुनकर उस रक्ष ने बोला की " मई नहुस को मार डालूंगा । इस पर अशोक सुंदरी ने हुंड को श्राप दिया की तेरी मृत्यु नहुस के हाथो ही होगी।  ये सुनकर उस राक्षस ने  नहुस का अपहरण कर लिया और नहुस  को हुंड की एक दासी ने  बचा लिया। 

इस तरह महर्षि वशिस्ट के आसाराम में नहुस बड़े हुए और उन्होंने हुंड का वध किया। इसके बाद नहुष ने हुंड की हत्या की और अशोक सुंदरी और नहुस का विवाह हुआ। विवाह के बाद शोक सुंदरी ने ययाति जैसे वीर पुत्र  और 100 रूप आती कन्याओ को जनम दिया। ययाति भारत के सम्राटो में से एक थे और उनको ही पांच पुत्रो ने भारत पर राज किया था।